केन्द्रीय मंत्रिपरिषद में

   केन्द्रीय मंत्रिपरिषद में मानव संसाधन विभाग को नयी गुणवत्ता से भरपूर करने की जिम्मेवारी स्मृति ईरानी जी की देख-रेख में आ गयी है । तुलसी के नाटकीय रूप में उनकी छवि नें एक गहरा प्रभाव छोड़ा था पर भारतीय राजनीति का एक सबसे दुर्बल पहलू है व्यक्तिगत आक्षेपों की गोलीबारी । उनकी शैक्षिक योग्यता को लेकर कई प्रश्न उठाये गये ऐसा लगता हैं कि अपने  सम्बन्धों में दिये गये प्रतिलेखों में थोड़ी बहुत असावधानी उन्होंने अवश्य दिखाई होगी अन्यथा आरोपों की व्यर्थता अपने आप ही सिद्ध हो जाती पर इस बात में भी सच्चाई है कि शिक्षा मन्त्री  का आंकलन विश्वविद्यालीय डिग्रियों के आधार पर नहीं होना चाहिए । प्रतिभा डिग्रियों में बँधकर नहीं बैठती । संसार के न जाने कितने जाने -माने प्रशासक अधिक शिक्षित नहीं थे फिर भी आधुनिक काल में शिक्षा की तकनीक , उसका विस्तारण और उसकी  वेधता प्रतिभा के साथ -साथ कड़े परिश्रम की माँग करती है । स्मृति ईरानी जी में इन विशिष्टताओं का अच्छा -खासा समिश्रण देखने को मिलता है। शिक्षा पर आधिकारिक चर्चा करना विद्वानों का विषय है। मैं अपने को इसका हकदार नहीं मानता। हाँ इतना अवश्य है कि किसी भी प्रभाव शाली परिवर्तन के लिए प्राइमरी  और मिडिल  स्कूल की शिक्षा में आमूल -चूल परिवर्तन की आवश्यकता है।