दिलीप कुमार न होते तो अमिताभ, शाहरुख और आमिर भी ऐसे न होते
फिल्मी दुनिया में अगर दिलीप कुमार न होते तो? तो शायद अमिताभ, शाहरुख़, आमिर भी वैसे अभिनेता न होते जैसे वे हैं. वे किसी और ढंग से नाराज़ हुआ करते, किसी और तरह से खुश होते, किसी और तरह से संवाद बोल रहे होते. यही नहीं, शायद हिंदी फिल्मों के नायकत्व में वह खुरदरा यथार्थवादी रंग नहीं घुलता-मिलता जो यूसु…
छपाक: उस डरावनी लेकिन प्रेरक कहानी की झलक जिसमें एसिड अटैक सिर्फ चेहरा जला पाया था, हौसला नहीं
छपाक! अंग्रेजी में कहें तो स्प्लैश (Splash). यह थोड़ा अटपटा है कि हिंदी की बजाय अंग्रेजी शब्द फिल्म का ज्यादा सटीक टाइटल लगता है. खैर, फिल्म के विषय और टाइटल को साथ देखें तो पता चलता है कि ये स्पलैश या छींटे सल्फ्युरिक एसिड के हैं. दूसरे शब्दों में कहें तो 'छपाक' उन लड़कियों की कहानी कहने व…
कुण्ठाओं की जननी --नक़ल
यह सामान्य ज्ञान की बात है कि मौखिक भाषा ही ध्वनियों का प्रारम्भिक अर्थवान स्वरुप रही होगी । एक बहुत लम्बे अंतराल के बाद जिसका प्रस्तार सम्भवत : शत सहस्रों वर्ष रहा हो -मानव जाति  नें रेखाओं , चित्रों और परिवर्तित होने वाले प्रकृति रूपों को आधार बनाकर लिपियों (लिपि ) को विकसित किया । मौखिक ज्ञान …
इम्तहान के करीब डेढ़ महीनें बाद फाइनल का पाँचवाँ प्रश्नपत्र जिसे वायवा वोसे कहते हैं
,सम्पादित हुआ । उस समय तक फाइनल के चारो प्रश्न पत्र के नम्बर यूनिवर्सिटी में आ चुके थे और नगेन्द्र नें उनका पता लगा लिया । प्रथम वर्ष के तीन और फ़ाइनल के चार पेपरों -इन सातों पेपरों को मिलाकर आप मुझसे छः नम्बरों से आगे थे । यह मुझे और नगेन्द्र को पता था । वायवा के इम्तहान हेतु डा ० व्रजाधीश प्रसाद आ…
मीडिया का एक वर्ग
बिहार विधान सभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की हार के लिये राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सर संघ चालक मोहन भागवत के उस बयान को भी जिम्मेवार ठहराता  हैं जिस बयान में उन्होंने कहा था कि आरक्षण व्यवस्था की पुनर   समीक्षा की आवश्यकता दिखायी पड़ रही   है। ऊपर से देखने में इस बयान में कहीं कोई त्रुटि नहीं द…
केन्द्रीय मंत्रिपरिषद में
केन्द्रीय मंत्रिपरिषद में मानव संसाधन विभाग को नयी गुणवत्ता से भरपूर करने की जिम्मेवारी स्मृति ईरानी जी की देख-रेख में आ गयी है । तुलसी के नाटकीय रूप में उनकी छवि नें एक गहरा प्रभाव छोड़ा था पर भारतीय राजनीति का एक सबसे दुर्बल पहलू है व्यक्तिगत आक्षेपों की गोलीबारी । उनकी शैक्षिक योग्यता को लेकर …